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जसोदा झुलावे गोपाल पलना हो, कन्हैया पलना / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जसोदा झुलावे गोपाल पलना हो, कन्हैया पलना।
चन्नन के उजे<ref>वह जो</ref> पलना बनल हे, ओकर<ref>उस</ref> में लगल रेसम फुदना<ref>रेशम का बना फुदना। छोटी गेंद के आकार का बना रेशम का फूलगेंदा</ref>॥1॥
पउअन<ref>खाट के पउए</ref> में सभ रतन जड़ल हे, हँस-हँस झुलावे मइया पलना।
नंद झुलावे, जसोदा झुलावे, आउर<ref>और</ref> झुलावे बिरिज<ref>ब्रजनगरी</ref> ललना॥2॥

शब्दार्थ
<references/>