भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़ख्म / पढ़-लिख के बड़ा हो के

Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:43, 21 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKFilmSongCategories |वर्ग=अन्य गीत }} {{KKFilmRachna |रचनाकार=?? }} <poem> पढ़-लिख के बड़ा ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: ??                 

पढ़-लिख के बड़ा हो के तू इक किताब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

हाथों से जिनका दामन इक दिन है छूट जाना
तारों के डूबते ही जिनको है टूट जाना
ये आँखें देखती हैं क्यूँ ऐसे ख़ाब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

मैंने तो प्यार को ही मज़हब बना लिया है
इस दिल को दिल की दुनिया का रब बना लिया है
ईमान हो गया क्या मेरा ख़राब लिखना
अपने सवालों का तू ख़ुद ही जवाब लिखना

कहते हैं लोग उनकी रसमों को मैंने तोड़ा
ये फ़ैसला भी मैने तेरी समझ पे छोड़ा
मेरी ख़ताओं का तू पूरा हिसाब लिखना