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ज़फ़र गोरखपुरी

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/* प्रतिनिधि रचनाएँ */
* [[सिलसिले के बाद कोई सिलसिला / ज़फ़र गोरखपुरी]]
* [[हमेशा है वस्ल-ए-जुदाई का धन्धा / ज़फ़र गोरखपुरी]]
* [[आँखें यूँ ही भीग गईं क्या देख रहे हो आँखों में एक मुट्ठी एक सहरा भेज दे / ज़फ़र गोरखपुरी]]
* [[आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से / ज़फ़र गोरखपुरी]]
* [[अभी ज़िन्दा हैं हम पर ख़त्म कर ले इम्तिहाँ सारे / ज़फ़र गोरखपुरी]]
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