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[[Category:गज़ल]]
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ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा
सुख़नकदा मेरी तर्ज़-ए-सुख़न को तरसेगा
ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा <br>नये प्याले सही तेरे दौर में साक़ी सुख़नकदा ये दौर मेरी तर्ज़शराब-ए-सुख़न कोहन को तरसेगा <br><br>
नये प्याले सही तेरे दौर में साक़ी <br>मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ के अमन न मिलीये दौर मेरी शराबवतन भी मुझ से ग़रीब-उल-कोहन वतन को तरसेगा <br><br>
मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ उन्हीं के अमन न मिली <br>वतन भी मुझ दम से ग़रीबफ़रोज़ाँ हैं मिल्लतों के चराग़ ज़माना सोहबत-ए-अरबाब-उल-वतन फ़न को तरसेगा <br><br>
उन्हीं के दम से फ़रोज़ाँ हैं मिल्लतों के चराग़ <br>बदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वरना ज़माना सोहबतये बाग़ साया-ए-अरबाबसर्द--फ़न समन को तरसेगा <br><br>
बदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वरना <br>ये बाग़ साया-ए-सर्द-ओ-समाँ को तरसेगा <br><br> हवा-ए-ज़ुल्म यही है तो देखना एक दिन <br>ज़मीं पानी को सूरज किरन को तरसेगा <br><br/poem>
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