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|रचनाकार=यगाना चंगेज़ी
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[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
ज़माना खु़दा को ख़ुदा जानता है।
 
यही जानता है तो क्या जानता है॥
 
वो क्यों सर खपाए तेरी जुस्तजू में।
 
जो अंजामे-फ़िक्रेरसा जानता है॥
ख़ुदा ऐसे बंदों से क्यों फिर न जाए।
 
जो बैठा हुआ माँगना जानता है॥
 
वो क्यों फूल तोड़े वो क्यों फूल सूँघे?
 
जो दिल का दुखाना बुरा जानता है॥
</poem>
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