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ज़राथुस्त्र / उज्ज्वल भट्टाचार्य

उस बूढ़े ने मुझसे कहा :
हाँ, तुम वही हो,
जो कभी इसी रास्ते से निकल पड़े थे
कहीं दूर जाने को

और फिर तुम कहीं खो गए
वापसी के रास्ते पर
देखता हूँ तुम्हें ।
तुम कितना बदल गए !

मैंने उससे कहा :
हाँ, मैं बदल गया,
क्योंकि
मैं वही हूँ,
जो कभी
रास्ते पर निकल पड़ा था ।