"ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है / रामावतार त्यागी" के अवतरणों में अंतर
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− | इक हसरत थी कि | + | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है |
− | मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले | + | इक हसरत थी कि आँचल का मुझे प्यार मिले |
+ | मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले | ||
− | मुझको पैदा किया संसार में दो लाशों ने | + | मुझको पैदा किया संसार में दो लाशों ने |
− | और बर्बाद किया क़ौम के अय्याशों ने | + | और बर्बाद किया क़ौम के अय्याशों ने |
− | तेरे दामन | + | तेरे दामन में बस मौत से ज़्यादा क्या है |
− | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है | + | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है |
− | जो भी तस्वीर बनाता | + | जो भी तस्वीर बनाता हूँ बिगड़ जाती है |
− | देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है | + | देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है |
− | मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वादा क्या है | + | मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वादा क्या है |
− | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है | + | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है |
− | तूने जो दर्द दिया उसकी क़सम खाता हूं | + | तूने जो दर्द दिया उसकी क़सम खाता हूं |
− | इतना ज़्यादा है कि एहसां से दबा जाता हूं | + | इतना ज़्यादा है कि एहसां से दबा जाता हूं |
− | मेरी तक़दीर बता और तक़ाज़ा क्या है | + | मेरी तक़दीर बता और तक़ाज़ा क्या है |
− | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है | + | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है |
− | मैंने जज़्बात के संग खेलते दौलत देखी | + | मैंने जज़्बात के संग खेलते दौलत देखी |
− | अपनी | + | अपनी आँखों से मोहब्बत की तिजारत देखी |
− | ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रक्खा क्या है | + | ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रक्खा क्या है |
− | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है | + | ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है |
− | आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है | + | आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है |
− | पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है | + | पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है |
− | आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है< | + | आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है |
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13:04, 29 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
इक हसरत थी कि आँचल का मुझे प्यार मिले
मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले
मुझको पैदा किया संसार में दो लाशों ने
और बर्बाद किया क़ौम के अय्याशों ने
तेरे दामन में बस मौत से ज़्यादा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
जो भी तस्वीर बनाता हूँ बिगड़ जाती है
देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है
मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वादा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
तूने जो दर्द दिया उसकी क़सम खाता हूं
इतना ज़्यादा है कि एहसां से दबा जाता हूं
मेरी तक़दीर बता और तक़ाज़ा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
मैंने जज़्बात के संग खेलते दौलत देखी
अपनी आँखों से मोहब्बत की तिजारत देखी
ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रक्खा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है