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"ज़िन्दगी शराब की दुकान पे चली गई / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

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ज़िन्दगी ,शराब की दुकान पे चली गई
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ज़िन्दगी, शराब की दुकान पे चली गई
कशमकश उठी-चली , उड़ान पे चली गई  
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कशमकश उठी-चली, उड़ान पे चली गई  
 
   
 
   
हाय..बा-दिली कहाँ लुढ़क रही है बेसबब
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हाय! बा-दिली कहाँ लुढ़क रही है बेसबब
 
देखते हैं आज किस ढलान पे चली गई  
 
देखते हैं आज किस ढलान पे चली गई  
 
   
 
   
 
नफ़रतों का कारवाँ बढ़ा तो और बढ़ गया
 
नफ़रतों का कारवाँ बढ़ा तो और बढ़ गया
रस्मो-राहियत अभी गठान पे चली गई  
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रस्मो- राहियत अभी गठान पे चली गई  
 
   
 
   
 
एक ही मिली कोई सुकून जिसके पास था
 
एक ही मिली कोई सुकून जिसके पास था
 
और कम्बख़त वो आसमान पे चली गई  
 
और कम्बख़त वो आसमान पे चली गई  
 
   
 
   
दोज़खी से राब्ता कोई नहीं था ‘दीप’ जी !
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दोज़खी से राब्ता कोई नहीं था ‘दीप’ जी!
क्या बताएँ ज़हनियत गुमान पे चली गई I
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क्या बताएँ ज़हनियत गुमान पे चली गई  
 
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20:38, 18 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

 
ज़िन्दगी, शराब की दुकान पे चली गई
कशमकश उठी-चली, उड़ान पे चली गई
 
हाय! बा-दिली कहाँ लुढ़क रही है बेसबब
देखते हैं आज किस ढलान पे चली गई
 
नफ़रतों का कारवाँ बढ़ा तो और बढ़ गया
रस्मो- राहियत अभी गठान पे चली गई
 
एक ही मिली कोई सुकून जिसके पास था
और कम्बख़त वो आसमान पे चली गई
 
दोज़खी से राब्ता कोई नहीं था ‘दीप’ जी!
क्या बताएँ ज़हनियत गुमान पे चली गई