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{{KKRachna
|रचनाकार=अमीर खुसरो}} {{KKCatKavita}}<poem>ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,दुराये नैना बनाये बतियां |कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,न लेहो काहे लगाये छतियां ||
शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,
सखि पिया को जो मैं न देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ||
यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,
किसे पडी है जो जा सुनावे
पियारे पी को हमारी बतियां ||
<p>ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुलचो शमा सोज़ान,</p>चो ज़र्रा हैरान<p>दुराये नैना बनाये बतियां हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह |</p><p>कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जानन नींद नैना,</p>ना अंग चैना<p>ना आप आवें, लेहो काहे लगाये छतियां भेजें पतियां ||</p><br><p>शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़</p><p>वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,</p>
<p>सखि पिया को जो मैं न देखूं</p><p>तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ||</p><br><p>यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू</p><p>ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,</p><p>किसे पडी है जो जा सुनावे</p><p>पियारे पी को हमारी बतियां ||</p><br><p>चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान</p> <p>हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह |</p><p>न नींद नैना, ना अंग चैना</p><p>ना आप आवें, न भेजें पतियां ||</p><br><p>बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर</p><p>कि दाद मारा, गरीब खुसरौ |</p><p>सपेट मन के, वराये राखूं</p><p>जो जाये पांव, पिया के खटियां ||</ppoem>
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