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जागि रे सब रैण बिहाणी / दादू दयाल

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जागि रे सब रैण बिहाणी।
जाइ जनम अँजुलीको पाणी॥टेक॥

घड़ी घड़ी घड़ियाल बजावै।
जे दिन जाइ सो बहुरि न आवै॥१॥

सूरज-चंद कहैं समुझाइ।
दिन-दिन आब घटती जाइ॥२॥

सरवर-पाणी तरवर-छाया।
निसदिन काल गरासै काया॥३॥

हंस बटाऊ प्राण पयाना।
दादू आतम राम न जाना॥४॥