भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाति / मनोहर बाथम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:03, 23 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोहर बाथम |संग्रह= }} <Poem> सत्रह तारीख़ को इसी बगीच...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सत्रह तारीख़ को
इसी बगीचे में
फिरंगियों की गोलियों से
गणेश और सलीम
एक साथ शहीद हुए

तब उनकी जाति
शहीदों की थी
उनका धर्म आज़ादी था

मरने पर हमने बनाई
एक समाधि
और एक क़ब्र

और शहीदों को तब्दील कर दिया
हिन्दू और मुसलमान में