Last modified on 9 दिसम्बर 2012, at 21:26

जान पड़ता है मैं मुर्दों की वारिस हूँ / ईमान मर्सल

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ईमान मर्सल  » जान पड़ता है मैं मुर्दों की वारिस हूँ

माँ को दफ़नाकर जब मैं लौट रही थी
मेरा डग भरना बालिग हो चुका था
मैं उसे एक 'रहस्यमय' जगह छोड़ आई थी
जहां अब वह अपनी मुर्गि़यां पालेगी

मुझे अपने घर को पड़ोसियों की ताकझांक से बचाना था
मुझे आदत पड़ गई दहलीज़ पर बैठकर रेडियो सुनने की
मैं धारावाहिक की उस अभिनेत्री की
प्रतीक्षा करती थी जिसे हर कोई सताता था

और जिस दिन मेरी सहेली को अपने शरीर की जांच कराने के लिए
दूसरे महाद्वीप का वीज़ा मिल गया -
वह मेरी टेबल पर अपनी सिगरेट छोड़ जाना भूल गई -
उस दिन मुझे विश्वास हो गया कि सिगरेट निहायत ज़रूरी चीज़ है

तब से मेरे पास एक निजी दराज़ ज़रूर होता है
और एक गुप्त पुरुष भी
जो कि दरअसल उसका प्रेमी था

और जब,
डॉक्टर नाकाम रहे एक ऐसी किडनी खोज पाने में
ओसामा का शरीर जिसे नकार न सके -
ओसामा
जिसकी किडनियां इसलिए घिस गई थीं कि
वह अपने भीतर की सारी कडवाहटों को दबा देता था
ताकि हमेशा मीठा दिखता रहे -

अब उसकी थम्स अप की भंगिमा का प्रयोग करना
शायद मैं शुरू कर दूं
ताकि बात करते समय हमेशा दृढ़ दिखूं

जान पड़ता है, मैं मुर्दों की वारिस हूं
जिन सबसे मैं प्रेम करती हूं, उनकी मौत के बाद
एक रोज़
मैं एक कैफ़े में अकेले बैठूंगी
मुझे कहीं से नहीं लगेगा कि मैंने कुछ खो दिया है
क्योंकि मेरी देह एक विशाल टोकरी है
जहां ये सारे लोग अपनी-अपनी चीज़ें गिरा जाते हैं
वे चीज़ें
जिनमें उनके होने के निशान होते हैं

अंग्रेजी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी