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जाम पर जाम निगलते जायें / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

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जाम पर जाम निगलते जायें।
जान को जान समझते जायें।।

आज तक मैं न कभी कुछ मांगी।
आप बस प्यास बुझाते जायें।।

झूठ वादे न करें तो अच्छा।
नींद मेरी न चुराते जायें।।

आप तो आप हमारे हैं बस।
गैर से यूँ न फिसलते जायें।।

अब भरोसा न रहा क्या मुझपर।
रात भर यूँ न सताते जायें।।