♦ रचनाकार: अज्ञात
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जा मुरली तो मधुर सुनाएं जाव, फिर मथुरा खों चले जावो।
मुरली बजे श्याम की प्यारी, जा में वश कीन्हें बृजनारी,
सोवत जगी राधिका प्यारी।
हमें सुर को तो शब्द सुनाये जाओ। फिर...
तुम बिन हमें कछु न भावे,
जो मन दरसन खों ललचावे, सूरत सपने में दरसावे,
हमें नटवर तुम संगे लिवाए जाओ।। फिर...
सोहे भाल तिलक छवि न्यारे, दोई नैनाहैं रतनारें,
कानन कुण्डल डुले तुम्हारे।
अपना मोहिनी रूप दिखाए जाओ। फिर...
गारी श्रीकृष्ण की प्यारी,
उनके चरणन की बलहारी, जिनको भजते सब संसारी।
हमें चरणन की दासी बनाए जाओ। फिर...