जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ
उतना-उतना गहरा होता जाता हूँ
देख-देख कर बच्चों की अठखेली को
मैं दरिया से सहरा होता जाता हूँ
माज़ी दिल पे बोझ बढ़ाए जाता है
सर से पा तक दुहरा होता जाता हूँ
जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ
उतना-उतना गहरा होता जाता हूँ
देख-देख कर बच्चों की अठखेली को
मैं दरिया से सहरा होता जाता हूँ
माज़ी दिल पे बोझ बढ़ाए जाता है
सर से पा तक दुहरा होता जाता हूँ