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जितना दूर गए हो मुझसे / सोनरूपा विशाल

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जितना तुम पहचानो ख़ुद को उतना ही पहचानूँ मैं।
जितना दूर गए हो मुझसे उतना पास हो मानूँ मैं।
दूरी में प्रेमी संयम की बाँहें पकड़े रहते हैं।
लेकिन एक दूसरे की ख़ुशबू से जकड़े रहते हैं।
मजबूरी को सिंदूरी करना तुम जानो जानूँ मैं....।
मेरी पूजा में शत प्रतिशत पुण्य तुम्हीं को मिलता है।
प्यार तुम्हारा जीकर तन मन चाँद सरीखा खिलता है।
इसीलिए ख़ुद को ख़ुद में कम करने की ज़िद ठानूँ मैं...।