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जिनि थोथरा पिछोरे कोई / रैदास

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।। राग सोरठी।।
  
जिनि थोथरा पिछोरे कोई।
जो र पिछौरे जिहिं कण होई।। टेक।।
झूठ रे यहु तन झूठी माया, झूठा हरि बिन जन्म गंवाया।।१।।
झूठा रे मंदिर भोग बिलासा, कहि समझावै जन रैदासा।।२।।