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जिन्दगी भी कमाल करती है / गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'

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जिन्दगी भी कमाल करती है।
उम्र भर देखभाल करती है।।

कोशिशों में कमी नहीं रखती,
हर जतन से सँभाल करती है।।

हार कर भी न बैठती चुप है,
फिर सँभल कर धमाल करती है।।

जूझने का शऊर गर है तो,
नेमतों से निहाल करती है।।

जोश-हिम्मत का साथ मिल जाये,
काम फिर बेमिसाल करती है।।

देख कर रूह काँपती फिर भी,
मौत से कदमताल करती है।।