जिन्दगी भी कमाल करती है।
उम्र भर देखभाल करती है।।
कोशिशों में कमी नहीं रखती,
हर जतन से सँभाल करती है।।
हार कर भी न बैठती चुप है,
फिर सँभल कर धमाल करती है।।
जूझने का शऊर गर है तो,
नेमतों से निहाल करती है।।
जोश-हिम्मत का साथ मिल जाये,
काम फिर बेमिसाल करती है।।
देख कर रूह काँपती फिर भी,
मौत से कदमताल करती है।।