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"जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है / कविता किरण" के अवतरणों में अंतर

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जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है
 
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वो ग़ज़ल आपको सुनानी है  
 
वो ग़ज़ल आपको सुनानी है  
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अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों  से  
 
अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों  से  
 
मेरे महबूब की निशानी  है
 
मेरे महबूब की निशानी  है

20:10, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है
वो ग़ज़ल आपको सुनानी है

अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों से
मेरे महबूब की निशानी है
  
लब पे वो बात ला नहीं पाए
जो कि हर हाल में बतानी है

 कहीं आंसू कहीं तबस्सुम है
कुछ हकीकत है कुछ कहानी है

हमने लिखा नहीं किताबों में
अपना जो भी है मुंह ज़बानी है

कर दी आसान मुश्किलें सारी
मौत भी किस क़दर सुहानी है

आज तो बोल दे 'किरण' सब कुछ
ख़त्म पर फिर तो जिंदगानी है