Last modified on 11 जून 2010, at 20:10

जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है / कविता किरण

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:10, 11 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है
वो ग़ज़ल आपको सुनानी है

अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों से
मेरे महबूब की निशानी है
  
लब पे वो बात ला नहीं पाए
जो कि हर हाल में बतानी है

 कहीं आंसू कहीं तबस्सुम है
कुछ हकीकत है कुछ कहानी है

हमने लिखा नहीं किताबों में
अपना जो भी है मुंह ज़बानी है

कर दी आसान मुश्किलें सारी
मौत भी किस क़दर सुहानी है

आज तो बोल दे 'किरण' सब कुछ
ख़त्म पर फिर तो जिंदगानी है