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जिस दिन यह शहर बना था / संजय चतुर्वेदी

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इस शहर में अनगिनत इमारतें हैं
दरवाज़े हैं
लोग निकलते हैं उनसे हर सुबह
शाम को घुस जाते हैं वापस
उनके पास सोचने का समय नहीं
निर्णय का अधिकार नहीं
इस शहर का जो सबसे ताक़तवर आदमी है
वह भी ऎसा ही है
सारे निर्णय उसी दिन ले लिए गए थे
जिस दिन यह शहर बना था।