Last modified on 6 दिसम्बर 2009, at 20:19

जिस दिन / शलभ श्रीराम सिंह

गंगाराम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:19, 6 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatKavita‎}} <poem> जिस दिन अच्छी कवित…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
अपनों से दूर हो जाओगे

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
नौकरी से हाथ धो बैठोगे

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
प्यार करने वाले हवा हो जाएंगे

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
अकेले रह जाओगे एक दम

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
छोड़ दिए जाओगे अपने हाल पर

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
पागल करार कर दिए जाओगे सहसा

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
मार दिए जाओगे अचानक

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
ज़िन्दा जला दिए जाओगे चौराहे पर उसी दिन

जिस दिन अच्छी कविता लिखोगे
ईश्वर में तब्दील कर दिए जाओगे चुपचाप


रचनाकाल : 20.04.1991

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।