Last modified on 17 अगस्त 2020, at 01:04

जिस पर ये दिल फ़िदा है दिलदार वो है निराला / बिन्दु जी

जिस पर ये दिल फ़िदा है दिलदार वो है निराला।
हर दिल अजीज भी है हर दिल का है उजाला॥
क्या है वो क्या नहीं झगड़ा दूर हो तब।
होता है जब वो जाहिर परदे में छिपनेवाला॥
खम्भे से मूर्ती से जल सिन्धु से जमीं से।
पलभर में निकल आया जिसने जहाँ निकला।
बंजरों में पहाड़ों में कतरों में बादलों में।
अदना है ‘बिन्दु” से भी हैं सिन्धु से भी आला।