जीए तो आपके हक़ में रहे दुआ करते
बहुत ग़रीब थे हम लोग और क्या करते
ग़मे- हयात से फ़ुर्सत न पा सके वरना
कभी बहार की बातें ही कर लिया करते
तमाम उम्र कोई ऐसा दिन नहीं गुज़रा
कभी कभी जिसे याद ही किया करते
हमारी ख़ुशियाँ जनमते ही मर गईं वर्ना
हम अपनी ख़ुशियाँ ज़माने को दे दिया करते
हुज़ूर आप तो हमको वफ़ा सिखाते हैं
कभी तो आप भी हमसे कोई वफ़ा करते