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जीण कठै है ? / गीता सामौर

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जीण! कठै है थूं आं दिनां?
थनैं ई कठै रैवण दियो मां-बाप रै घरै
जठै हो थारो गोडां सूदो राज।
कहीजै कै बेटियां परायी होवै
पण मां-बाप तो आपरा ई होया करै
वै कदैई नीं होवै पराया।
तो ई थारै मां-बाप रो घर
छेकड़ छुडवा ई दियो
थारै सूं इण समाज....
कांई फरक पड़ै इण सूं
कै घर स्यूं निकाळण वाळा
व्यंग्य बाण भाभी रा हा
कै है वो मन जको
कोनी रैवण देवै
गरभ मांय कन्या-भ्रूण....।
पांख्यां बारै आवण सूं पैली’ज
भेज दी जावै है थनैं
उण जातरा पर जठै सूं
कोई पाछो कियां आवै....।
कियां लागतो होवैला थनैं
ओ सो कीं सुण’र?
अर आ ई क्यूं......
जीण! कांई थूं जाणै है
कै अजकाळै कानून कर दियो है-
बेटियां रो हक माईतां रै धन मांय
 
पण वो हक देवणियां
स्यात आ कोनी जाणै
कै ओ नीं है
सम्पत्ति मांय बेटियां रो उत्तराधिकार
ओ तो है साच्यांणी बेटियां रो निरवासन
पी’र री थळी सूं
अर मां-बाप रै दिलां सूं...
क्यूं कै दिल री नाजुक डोरी तूट जावै
धन-सम्पत्ति मांगण रै भारै सूं
अर रैय जावै बेटियां पी’र सूं वंचित।
थूं तो स्यात ओ ई कोनी जाणती होवैला जीण
कै इण कळजुग मांय
थनैं ई देवी बणा’र
पूजण लागग्या है लोग
अर मांगण लागग्या है
मनौतियां बेटै रै जलम री
अर साच्यांणी बेटो होयां
लगावै थारै धोक
करै रातिजोगा
चढावै जात, उतारै झड़ूला।
जीण! साची बतावजै
कांई थनै हंसी नीं आवै-
अैड़ा लोगां माथै?
कांई थूं जणै ई मून धारली?
आज मारीजै
धरती री लाखूं-करोड़ूं बेटियां
जाणै चढ रैयी है बळी
बेटा-जलमण री लालसा मांय
कांई अबै ई थूं मून धारैला
जलम सूं पैली मरती बेटियां नैं बचावै
आज वा जीण कठै है?