जीत नहीं किसको प्यारी है?
कोशिश से इसकी यारी है।।
श्रम के चरण सफलता चूमे,
श्रम से किस्मत भी हारी है।।
जिसने खुद को हरदम जीता,
सच्चे सुख का अधिकारी है।।
उसका जीना ही है जीना,
जिसमें बाकी खुद्दारी है।।
सब शासन पर ही मत छोड़ो,
खुद की भी जिम्मेदारी है।।
पौरुष होता जहाँ उपस्थित,
वहाँ न टिकती लाचारी है।।
अवसर पर ‘चौहान न चूको’,
अवसर की महिमा न्यारी है।।