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"जीने का हुनर / मोहम्मद इरशाद" के अवतरणों में अंतर

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या रब मुझको ऐसा जीने का हुनर दे
जो मुझसे मिले इंसाँ उसे मेरा कर दे
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नफरत बसी हुई है जिन लोगों के दिल में
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हर हाल में करते हैं जो शुक्र अदा तेरा
 
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‘इरशाद’ को भी मौला उनमें शुमार कर दे
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20:01, 12 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण


या रब मुझको ऐसा जीने का हुनर दे
मुझसे मिले जो इंसाँ तू उसको मेरा कर दे

नफरत बसी हुई है जिन लोगों के दिल में
परवर दिगार उनको मुहब्बत से भर दे

मैं ख़ुद के ऐब देखूँ ओ लोगों की खूबियाँ
अल्लाह जो दे तो मुझे ऐसी नज़र दे

बेखौफ जी रहा हूँ गुनहगार हो गया
दुनिया का नहीं दिल को मेरे अपना ही डर दे

जो लोग भटकते हैं दुनिया में दरबदर
मोती का ना सही उन्हें तिनकों का तो घर दे

हर हाल में करते हैं जो शुक्र अदा तेरा
‘इरशाद’ को भी मौला तू बस ऐसा ही कर दे