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जीभ थी ही नहीं तो कटी कैसे / प्रमोद कुमार तिवारी

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(सोनभद्र जिले (उत्तरप्रदेश) के करहिया गाँव की उस जागेश्वरी के लिए, जिसकी जीभ भरी पंचायत में 3 अगस्त 2010 को काट दी गई थी)

आदरणीय पंचो! जागेश्वरी डायन है
इसके कई सबूत हैं हमारे पास
पहला तो यही कि उसके चार बच्चे हैं
हमारी एक भी संतान नहीं और उसके चार-चार बच्चे।
दूसरा, जागेश्वरी बोलती है और जवाब देती है
आप ही बताइए, पूरे गाँव में है कोई स्त्री
जो हमारे सामने कर ले ऐसी जुर्रत
तीसरा, जागेश्वरी सुंदर है
चौथा, जागेश्वरी का नाम जागेश्वरी है
जो कायदे से बिगनी, गोबरी आदि होना चाहिए था
पाँचवा, आप खुद देख लें कि साज-शृंगार का इतना शौक है इसे
कि बाँह तक पर गोदवाए हैं फूल।
अब क्या बताऊँ, हमें तो कहते भी शर्म आती है
पर महादेव कह रहा था कि
कई बार जागेश्वरी उसके सपने में आई
और ईख के खेत की ओर खींचने लगी।
और बासमती तो कह रही थी
कि उसने अपने रोते बेटे को
अगर नहीं छीना होता उसकी गोद से
तो चबा गई होती उसको!
रमकलिया भी कह रही थी
कि उसके मरद पर भी
मंतर पढ़ दिया है इसने
हरदम इसी को घूरता रहता है।
पंचो! इस सहदेव की बात छोड़ो
आपै बताओ
भला जागेश्वरियों के पास
कहीं जीभ, दाँत और नाखून होते हैं
इन पंचों के पूर्वजों के पूर्वजों ने
सदियों पहले कर दी थी व्यवस्था
साफ बात है
जब जीभ थी ही नहीं
तो कटी कैसे
ये सब साजिश है
पंच परमेश्वरों और सभ्य पुरुषों को
बदनाम करने की।