Last modified on 18 सितम्बर 2017, at 20:14

जीवन-3 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

23.
मन के ढंग
पानिये ऐसनोॅ रे
उठै तरंग।

24.
मानोॅ कहना
क्रोध मंे भूलोॅ नाय
गुस्सा सहना।

25.
पैसा रोॅ यार
रहै दिन दू-चार
फिरू फरार।

26.
ऊ गमखोर
मुँहोॅ में नाय बोली
आँखी नै लोर।

27.
भूखें मरलै
क्रिया कराय केॅ ऊ
स्वर्गे रे गेलै।

28.
तोरोॅ जुदाई
खुशी के सबटा रे
भेलै विदाई।

29.
मुँहोॅ में राम
मगर बदनाम
भेलै हराम।

30.
जपै छै राम
मगर छोड़ै कहाँ
बुरा जे काम।

31.
रे कर्जखोर
अभियो तेॅ अपनोॅ
आदत छोड़।

32.
कैन्होॅ बहाना
इल्जाम लगाय केॅ
झूठे सताना।

33.
भूली नै जैहोॅ
केकरो एहसान
सदा निभैहोॅ।