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जीवन की गाड़ी धकेले रे मनखी / अनूप सिंह रावत

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जीवन की गाड़ी धकेले रे मनखी, बाटू च अभी बडू दूर.
भाग मा त्यारा जू कुछ भी होलू, एक दिन त्वे मिललू जरूर.
करम करदी जा, धरम करदी जा ...................

अधर्म कु बाटू भेल ली जांदू, धर्म कु बाटू स्वर्ग मा जांदू.
जैका जनि कर्म हे मनखी, फल भी दगिद्या ऊनि पांदू.
जाति-पांति सब भेदभाव छोड़, सब च वै विधाता की नूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

फूलों कु बाटू बण्यूं च त्वेकू, कांडों का बाटा किलै छै जाणु.
सब कुछ पाके भी से बाटा मनखी, त्वेन कभी सुख नि पाणु.
दया धर्म कु बाटू जा रे मनखी, ना बण तू हे इतगा क्रूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

बगत कभी रुक्युं नि रांदु, आदत येकी भी मनखी जनि च.
सब कुछ च त्वैमा हे मनखी, बस एक धीरज की कमि च.
मनखी चोला माटा कु च रे, चखुलू सी उड़ी जालू फूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

रंग ही नि हुंदू फूलों की पछ्यांण, कांडों ना भी पछ्यांण हुंद.
रंग रूपल नि पछ्नेंदु मनखी, वैका कर्मों न पछ्याण हुंद.
प्रेम कु कल्यों त्वैमा रे मनखी, बांटी सकदी बांटी ले भरपूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........

लू सदानी नि रैंदु चमकुणु, घाम आण मा सर्र गैली जान्द.
पाप की गठरी नि बाँध रे, पाप कु घाडू फट्ट फूटी जान्द.
अहम् छोड़ी दे रे दगिद्या, न कैर मनखी तू भंड्या गुरूर.
जीवन की गाड़ी ....... भाग मा त्यारा ..........।