Changes

|रचनाकार=देवेन्द्र आर्य
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जीवन क्या है, काँच का घर है।
जब सपने नाख़ूनों में हों
आँखें होना बुरी खबर ख़बर है।
विष पी कर हम अमर हो गए
Mover, Reupload, Uploader
3,960
edits