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जीवन साँझ हुई/ साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

अब तो आ जा श्याम साँवरे
जीवन साँझ हुई॥
तू आये तो जीवन हो यह
खुशियों के निःश्वास लिये।
हमने सारा जनम गुजारा
सिर्फ मिलन की आस लिये।
निशि दिन तड़पे नैन बावरे
जीवन साँझ हुई॥
मन मंदिर में तुझे बिठाया
नित अभिसार किया,
हार बना कर अभिलाषा का
तुझ पर वार दिया।
अब आ कर तू जून सँवारे
जीवन साँझ हुई॥
श्वांस श्वांस प्रतिबंधित जैसे
चुप चुप है धड़कन,
बार बार तुझको पुकारता
है यह पागल मन।
प्राण तुझे बेचैन पुकारे
जीवन साँझ हुई॥