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जीस आस जोगी जग / बहिणाबाई

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जीस आस जोगी जग,
जीस आस छोड़ भाग,
जीस आस ले बैराग बनवास जात है॥
जीस आस पान खावे,
जीस आस धरत सोवें,
जप तप ही करतु है॥
जीस आस शिर मुंडे,
जीस आस मुच्छ खंडे,
जीस आस होते रंडे,
जलमे वसतु है॥
वो ही सत्य जान नंद,
प्रगट भया है गोविंद,
पुण्य ही तेरा अगाध,
बहिणी ये कहतु है॥