Last modified on 9 अक्टूबर 2009, at 22:20

जुगनू कोई सितारों की महफ़िल में खो गया / बशीर बद्र

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:20, 9 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बशीर बद्र |संग्रह=उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जुगनू कोई सितारों की महफ़िल में खो गया
इतना न कर मलाल जो होना था हो गया

परवरदिगार जानता है तू दिलों का हाल
मैं जी न पाऊँगा जो उसे कुछ भी हो गया

अब उसको देखकर नहीं धड़केगा मेरा दिल
कहना के मुझको ये भी सबक याद हो गया

बादल उठा था सबको रुलाने के वास्ते
आँचल भिगो गया कहीं दामन भिगो गया

इक लड़की एक लड़के के काँधे पे सो गई
मैं उजली धुंधली यादों के कोहरे में खो गया