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जुगनू / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

जगमग-जगमग जुगनू जगते।
इधर-उधर हैं उड़ते फिरते।
जहाँ घिरा है घुप्प अँधेरा।
करते हैं ये वहीं उजेरा।
ऐसा लगता आसमान के।
तारे धरती पर आ उड़ते॥
टार्च जलाते और बुझाते।
ऐसे ही जलते बुझ जाते।
फूलों-पत्तों में छिप जाते।
लता कुंज में उड़ते जाते।
धरती के तारों से लगते।
लेकिन ये तो उड़ते फिरते॥
बच्चे इन्हें पकड़ लेते हैं।
कपड़ों में समेट लेते हैं।
ये मोती से चमचम करते।
ये हीरों से दमदम करते।
इन्हें पकड़ने में सुख पाते।
बच्चे पीछे भागा करते।
जगमग-जगमग जुगनू जलते।