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जुगे जुगे रहि अहिबात झापे झुपेरी हे बिराजे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में दुलहे-दुलहिन की दीर्घायु और सौभाग्य वृद्धि की कामना की गई है। इसके अतिरिक्त गौरी द्वारा गृह-कार्य करने और प्रेमपूर्वक शिव को खिलाने का उल्लेख करके दुलहिन को गृह-सेवा तथा पति-भक्ति की शिक्षा दी गई है।

जुगे जुगे रहि<ref>रहेगा</ref> अहिबात<ref>सुहाग</ref>।
साठि<ref>साठी, एक प्रकार का धान, जो साठ दिनों में होता है</ref> कुटिये<ref>कूटकर</ref> गौरा भात बनैलऽ<ref>बनाया</ref>, मुँगिया दड़रि<ref>दलकर; चक्की में डालकर दो या अधिक टुकड़े किया</ref> कैलऽ<ref>किया</ref> दाल।
रानी जुगे जुगे रहि अहिबात॥1॥
चनन रगरि<ref>रगड़कर</ref> गौरा चौंका<ref>चौका पूरना</ref> पुरैला, भोजन सुसारे<ref>ग्रहण करते हैं; ग्रास निगलते हैं</ref> बैजनाथ<ref>बैद्यनाथ</ref>।
रानी जुगे जुगे रहि अहिबात॥2॥
जिबह<ref>जीवित रहे</ref> हे दुलहा दुलहिन लाख बरीस, कनियाँ सुहबी<ref>सौभाग्यवती</ref> के बाढ़ो<ref>बढ़े</ref> अहिबात।
रानी जुगे जुगे रहि अहिबात॥3॥

शब्दार्थ
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