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जुड़वाँ की मुसीबत / श्रीनाथ सिंह

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एक साथ जन्मे हम दोनों,
मैं औ मेरा भाई।
किन्तु शकल सूरत मिलने से,
बेहद आफत आई।
मैं हूँ कौन? कौन है भैया?
समझ न कोई पाता,
जाता यदि वह नहीं मदरसे,
तो मैं ही पिट जाता।
भाई का ले नाम मुझे थे,
घर के लोग बुलाते।
पड़ता वह बीमार - दवाई
लेकिन मुझे पिलाते।
धोखे में आ मात पिता ने,
भी की भूल घनेरी।
भाई से ब्याहा उसको,
जो होती दुलहिन मेरी।
क्या बतलाऊँ मुसीबतें,
क्या पड़ीं शीश पर पटपट,
भाई जब मर गया मुझी को,
लोग ले गए मरघट।