भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जूनियर‌ गधा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 29 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखो मम्मी देखो पापा,
बस्ता हमसे उठ न पाता|
हम बच्चों का दर्द आप सब,
लोगों को क्यों समझ न आता|

 आठ सेर का वज़न हमारा,
पर बस्ता तो दस का है माँ|
इसको कंधे पर ले जाना,
नहीं हमारे बस का है माँ|

 हम बच्चों पर कहर इस तरह,
क्यों दुनियाँ वाले ढाते हैं|
कष्ट हमें है कितना भारी,
क्यों न लोग समझ पाते हैं|

 अभी खेलने खाने के दिन,
किंतु गधे सा हमको लादा|
सड़क किनारे खड़ा गधा भी,
हमें जुनियर गधा बुलाता|

 हम छोटे छोटे बच्चे हैं,
हमको हंसने मुस्कराने दो|
बिना किताबों के ही हमको,
कुछ दिन तो शाला जाने दो|