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जैसे खुशियाँ अहम ज़रूरी हैं / रामश्याम 'हसीन'

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जैसे खुशियाँ अहम ज़रूरी हैं
ज़िन्दगानी में ग़म ज़रूरी हैं

एक-दूजे से कम नहीं कोई
तुम ज़रूरी हो, हम ज़रूरी हैं

थोड़ा-थोड़ा यक़ीन लाज़िम है
थोड़े-थोड़े भरम ज़रूरी हैं

दोस्तों से नहीं ग़िला कोई
दोस्त भी बेरहम ज़रूरी हैं

हम फ़क़ीरों पर तेरी दुनिया में
मेरे मौला! करम ज़रूरी हैं