भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जैसे जिंदगी के साथ / बल्ली सिंह चीमा
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:25, 4 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बल्ली सिंह चीमा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पन्ना बनाया)
गम और खुशी मिलते हैं जैसे जिंदगी के साथ,
कुछ होश भी दे दो मुझे , इस बेखुदी के साथ।
आती नहीं है आज भी बनियागिरी हमें,
कुछ दे दिया या ले लिया हमने खुशी के साथ।
कुछ हो भी गया हो तो खुदा खैर करे,
मिलते हैं आजकल वो बडी बेरूखी के साथ।
बल्ली बफा और इश्क की बातें हवा में हुई,
वो भी किसी के साथ हैं , मैं भी किसी के साथ।g