भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जोत उजाळी / कुंदन माली

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:24, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोग ठेठ सूं
भटकण लाग्या
पेट-पीठ खेल में
लूंगड़ी संग अंगरखी फाटी
ऐडी फाटी गेल में

ऊंडी आंख्यां नाड़ डोलती
जग री रेलमपेल में
धूप झेलता
छावां ठेलता
कैदी जीवण जेळ में
राजाजी रंगम्हैला में

खेत निराया
फसलां काटी
असल डूबगी भेळ में
स्याळ भरोसै खेती पाकै
कगलियां री सैल में

कूड़ा-कूड़ा भांग उळीचै
सड़क सांकड़ी गेल में
मिनकी थामै
दूध चाकरी
तिरै माखियां तेल में

गीली दाझै
सूखी दाझै
लकड़ी धुप्पल-धैल में
घणी डूबगी
अब नीं डूबै
जोत-उजाळी तेल में ।