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जो चाहें हम वही पाया नहीं करते / संजू शब्दिता

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जो चाहें हम वही पाया नहीं करते
खुदाया फिर भी हम शिकवा नहीं करते

विदा के वक़्त वो मिलने का इक वादा
उसी वादे पे हम क्या -क्या नहीं करते

ज़माने की नज़र में आ गए हैं वो
अकेले हम उन्हें देखा नहीं करते

सितमगर पूछता है, मुझसे हालेदिल
ज़हर में यों दवा घोला नहीं करते

इशारों को समझना भी जरुरी है
किसी से बारहा पूछा नहीं करते

उन्हें है इश्क हमसे जाने फिर भी क्यों
ये लगता है हमें गोया नहीं करते