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जो तू सागर से बनी थी / अज्ञेय

 
जो तू सागर से बनी थी
(जलजा की प्रिया की परछाईं)!
एक दिन शान्त, सोहनी, सुहासिनी,
धूप-सुनहली, चाँदनी-रुपहली,
नाविक की मनमोहिनी-
एक दिन वरुण की बाज-लदी कोहनी,
आधी विनाशिनी!

अक्टूबर, 1969

रूप और प्रेम की देवी अफ्रोदाइती सागर-फेन से सहज उद्भूत हुई थी। कीप्रस (साइप्रस) में उसका मुख्य मन्दिर था, इस लिए वह कीप्रिस भी कहलाती थी। ग्रीक सागर-देवता पोसेइदोन् (वरुण) वज्र-त्रिशूल धारण करता है; आँधियाँ-बिजलियाँ उसी के अधीन हैं।