जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता / रवि सिन्हा
जो दिल में हौसला होता तो ये अंजाम ना होता
जो होता सर में सौदा<ref>इश्क़ (love)</ref> तो ये सर नाकाम ना होता
ये उल्फ़त<ref>मुहब्बत (love)</ref> है के मजबूरी, हुए रुस्वा<ref>बदनाम (disgraced)</ref>, चले जाते
न कूचे में यहाँ फिरते न उनका सामना होता
तमाशा मेरे आगे है तमाशा तेरे आगे भी
जो तेरा दख़्ल कुछ होता मिरा कुछ काम ना होता
बजा<ref>मुनासिब (appropriate)</ref> ताकीद क़ुदरत की कि वो भी फ़र्दे-वाहिद<ref>अकेली शख़्सियत (unique individual)</ref> है
मगर हमराज़ तो होता भले हमनाम ना होता
ज़मीं से ज़ह्र पीते हैं जड़ों को खोद ही देते
अगर मिट्टी बदल देना शजर<ref>पेड़ (tree)</ref> का काम ना होता
चली है रस्म कुछ ऐसी अब इस तर्ज़े-हुकूमत में
के वो बदकार<ref>दुष्ट (wicked)</ref> ना होता तो उसका नाम ना होता
जो दुश्मन बा-अदब होता तो हम तेग़े-सुख़न<ref>कविता की तलवार (the sword of poetry)</ref> लेकर
उसी के सामने होते उसी से सामना होता