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जो परपंच रहस माया को / संत जूड़ीराम

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जो परपंच रहस माया को।
मात पिता सुत बंध बधूरी तन बिछुरे देखे को काको।
बाके कर विचार अपने वर अपनो डूबो जीव जातगत थाको।
देखो कर विचार मन माहीं त्रजन बिना नहिं स्वारथ लाको।
जगत जाल कल काल कामिनी जीव अचेत कर्म वस हाको।
गुरु सतसंग रंग मन साचो जूड़ीराम नाम बिन डाको।