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"जो बीत गई सो बात गयी / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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जीवन में एक सितारा था
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माना वह बेहद प्यारा था
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वह डूब गया तो डूब गय
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अंबर के आंगन को देखो
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कितने इसके तारे टूट
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कितने इसके प्यारे छूटे
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जो छूट गये फिर कहाँ मिले
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जो बीत गई सो बात गई
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जीवन में वह था एक कुसुम
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वह सूख गया तो सूख गया
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मधुबन की छाती को देखो
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सूखी कितनी इसकी कलियाँ
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मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
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फिर भी मदिरालय के अन्दर
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कब रोता है चिल्लाता है
  
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जो बीत गई सो बात गई
 
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12:01, 27 जून 2011 का अवतरण

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गय
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूट
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गये फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है

जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है

जो बीत गई सो बात गई