भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जो ब-वक़्ते-मर्ग तेरी आरज़ू रहे/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
'''लेखन वर्ष: २००५''' <br/><br/>
 
जो ब-वक़्ते-मर्ग तेरी आरज़ू रहे<br/>
 
इससे क्या कि उम्रभर रू-ब-रू रहे<br/><br/>
 
गर न कही उम्रभर दिल की बात<br/>
 
इससे क्या कि आते-जाते गुफ़्तगू रहे<br/><br/>
 
मैं तुम्हें देखूँ तुम मुझे देखो मुड़-मुड़के<br/>
 
न तुझे सुकूँ रहे न मुझे सुकूँ रहे<br/><br/>
 
तुम इशारों में कहो मैं इशारों को पढूँ<br/>
 
दो दिलों को मोहब्बत की जुस्तजू रहे<br/><br/>
 
तुमने दिल मेरा आख़िरश जीत लिया<br/>
 
अब दिल में तेरे लिए नया जुनूँ रहे<br/><br/>
 
ऐसे हालात का बाइस महज़ तुम हो<br/>
 
इससे क्या कि निगाह में खू़ब-रू रहे<br/><br/>
 
  
'''''ब-वक़्ते-मर्ग''': मृत्यु के समय भी । '''आख़िरश''': अंतत: । '''बाइस''': कारण । '''ख़ूब-रू''': ख़ूबसूरत चेहरे''
+
<poem>
 +
'''लेखन वर्ष: २००५/२०११''
 +
 
 +
जो ब-वक़्ते-मर्ग<ref>मृत्यु के समय भी</ref> तेरी आरज़ू रहे
 +
इससे क्या कि उम्रभर रू-ब-रू<ref>आमने-सामने</ref> रहे
 +
 
 +
गर न कह सके उम्रभर दिल की बात
 +
ये क्या कि आते-जाते गुफ़्तगू रहे
 +
 
 +
मैं तुम्हें देखूँ तुम मुझे, मुड़-मुड़के
 +
न मुझे सुकूँ रहे, न तुझे सुकूँ रहे
 +
 
 +
तुम इशारों में कहो मैं जिन्हें पढूँ
 +
दो दिलों को इश्क़ की जुस्तजू रहे
 +
 
 +
तुमने दिल मेरा आख़िरश<ref>अंतत:</ref> जीत लिया
 +
अब दिल में तेरे लिए नया जुनूँ रहे
 +
 
 +
इस हालात का बाइस<ref>कारण</ref> महज़ तुम हो
 +
इससे क्या कि निगाह में खू़ब-रू<ref>ख़ूबसूरत चेहरे</ref> रहे
 +
 
 +
{{KKMeaning}}
 +
 
 +
</poem>

18:56, 9 अप्रैल 2011 का अवतरण

'लेखन वर्ष: २००५/२०११

जो ब-वक़्ते-मर्ग<ref>मृत्यु के समय भी</ref> तेरी आरज़ू रहे
इससे क्या कि उम्रभर रू-ब-रू<ref>आमने-सामने</ref> रहे

गर न कह सके उम्रभर दिल की बात
ये क्या कि आते-जाते गुफ़्तगू रहे

मैं तुम्हें देखूँ तुम मुझे, मुड़-मुड़के
न मुझे सुकूँ रहे, न तुझे सुकूँ रहे

तुम इशारों में कहो मैं जिन्हें पढूँ
दो दिलों को इश्क़ की जुस्तजू रहे

तुमने दिल मेरा आख़िरश<ref>अंतत:</ref> जीत लिया
अब दिल में तेरे लिए नया जुनूँ रहे

इस हालात का बाइस<ref>कारण</ref> महज़ तुम हो
इससे क्या कि निगाह में खू़ब-रू<ref>ख़ूबसूरत चेहरे</ref> रहे

शब्दार्थ
<references/>