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जो मिल जाए उसको अपनी शान बना लेते हैं / अशोक रावत
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जो मिल जाए उसको अपनी शान बना लेते हैं,
जीने वाले हर मुश्किल आसान बना लेते हैं.
जिनके दिल में प्यार मुहब्बत का जज़्बा होता है,
दीवारों मे खिड़की रौशनदान बना लेते हैं.
कितनी प्यारी लगने लगती है ये सारी दुनिया,
जब हम अपने फ़र्ज़ों को ईमान बना लेते हैं,
धुँधले आईनों को एक दिन फैंक दिया जाता है,
गुण हो तो पत्थर अपनी पहचान बना लेते हैं.
इतना भोला इस दुनिया में कोई और नहीं है,
हम पत्थर के टुकड़े को भगवान बना लेते हैं.
वारिस हैं हम मानवता के, प्रहरी उन मूल्यों के,
जो दुश्मन को भी अपना मेहमान बना लेते हैं.
सोच समझ को चाल चलन में ऐसे ढाल लिया है,
हर आँसू को हम अपनी मुस्कान बना लेते हैं.