जो वतन के लिये जान वारा करे।
मौत से जिंदगानी सँवारा करे॥
रूह को देह दी जिसने सौगात में
किस तरह कर्ज उसका उतारा करे॥
वक्त बेवक्त बदला करें पालियाँ
किस तरह कोई उनसे किनारा करे॥
जी रहे लोग अपने लिये हैं सभी
चाहिये और का भी सहारा करे॥
धैर्य का रास्ता छोड़ हमने दिया
अब न कोई उधर से इशारा करे॥
देश की इल्तिज़ा आज केवल यही
हाल इससे बुरा रब तुम्हारा करे॥
राह वीरान कुर्बानियों की न हो
जिसको जीना है मरना गवारा करे।