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जो हुक़्म देता है वो इल्तिजा भी करता है / मुनव्वर राना
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जो हुक़्म देता है वो इल्तिजा[1] भी करता है
ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है
मैं अपनी हार पे नादिम[2] हूँ इस यक़ीन के साथ
कि अपने घर की हिफ़ाज़त[3] ख़ुदा भी करता है
तू बेवफ़ा है तो इक बुरी ख़बर सुन ले
कि इंतज़ार मेरा दूसरा भी करता है
हसीन लोगों से मिलने पे एतराज़ न कर
ये जुर्म वो है जो शादीशुदा भी करता है
हमेशा ग़ुस्से में नुक़सान ही नहीं होता
कहीं -कहीं ये बहुत फ़ायदा भी करता है